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लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग 10 
सपना और शिव बहुत देर तक मस्ती करते रहे । गीता देवी को पता ही नहीं था कि सपना कहां है ? उन्होंने पूरा मकान खंगाल डाला मगर सपना घर में हो तो मिले । वे परेशान हो गईं । थक हार कर उन्होंने सपना को फोन लगाया मगर सपना ने फोन रिसीव नहीं किया । तब उन्हें और अधिक चिन्ता हो गई । वे ऊपर छत पर देखने आ गईं मगर सपना वहां नहीं थी । गीता देवी ने देखा कि शिव के कमरे की लाइट जल रही है । एक बार शिव से पूछ ले कि क्या उसने सपना को कहीं देखा था ? यही सोचकर उन्होंने शिव का दरवाजा खटखटाया । 
"कौन है" ? शिव की आवाज आई 
"मैं हूं बेटा सपना की मम्मी" तनिक तेज आवाज में गीता देवी बोली 
"अरे आप ? आइए, आइए । अंदर आइए" । शिव उन्हें अंदर बुलाते हुए बोला 
"नहीं नहीं बेटा, मैं यहीं ठीक हूं" गीता देवी सकुचाते हुए बोलीं 
"ऐसा ना करो मां जी , आप बाहर रहेंगी तो मैं समझूंगा कि आप मुझे अपना बेटा नहीं मानती हैं" शिव के स्वर में आदर था, सम्मान था । 
"ऐसी कोई बात नहीं है बेटा" गीता देवी अंदर आते हुए बोली "एक बात तो बताओ" गीता देवी अभी भी संकोच में थीं । 
"पूछिए मां जी क्या पूछना है आपको" ? 
"तुमने सपना को कहीं देखा है क्या" ? 
"क्या अपनी सपना जी को" ? शिव चौंकते हुए बोला 
"हां बेटा अपनी सपना को कहीं देखा है क्या" ? गीता देवी के चेहरे से परेशानी झलक रही थी 
"नहीं तो मां जी । क्या बात है, सपना जी कहीं चली गई हैं क्या" ? 
"पता नहीं बेटा, घर पर नहीं है वह । सोचा कि कहीं तुमने देखा हो उसे तो कुछ पता चले । न जाने कहां चली गई है ? बहुत रात हो गई है , अब तक तो आ जाना चाहिए था उसे" गीता देवी की चिंता एक एक शब्द से झलक रही थी । 
"आप बात तो सही कहती हैं मां जी । आपने बाथरूम चैक कर लिया क्या" ? 
"चैक तो नहीं किया पर आवाज देकर देख लिया था । वहां पर नहीं है वह । मुझे उसकी चिंता हो रही है" 
"आपका चिंतित होना स्वाभाविक है मां जी । आप एक बार बाथरूम जरूर चैक कर लो । क्या पता वहां पर हो । इतने में मैं आता हूं फिर दोनों मिलकर तलाश करेंगे" । 
"हो सकता है कि वह वहां हो, मैं एक बार बाथरूम और चैक कर लेती हूं" । गीता देवी नीचे चली गई  । 

गीता देवी के जाते ही शिव ने अपना मोबाइल चैक किया । उसमें सपना का मैसेज पड़ा था "शुक्रिया मुझे बाल बाल बचाने के लिए । मैं नीचे सकुशल पहुंच गई हूं" । एक दो इमोजी भी भेजी थी उसने । अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने कैसी इमोजी भेजी होगी । मैसेज को पढ़कर शिव की जान में जान आई । 

गीता देवी जब नीचे आई तो सपना वाश बेसिन पर अपने हाथ मुंह धो रही थी । उसे सही सलामत अपने घर में पाकर गीता देवी ने चैन की सांस ली और सपना से थोड़ी तेज आवाज में पूछा "कहां चली गई थी तू ? बताकर नहीं जा सकती थी क्या ? पर तुम्हें क्या ? मां का तो काम ही यही है कि वह अपनी संतान की चिन्ता करती रहे । है ना" ? गीता देवी की त्यौरियां चढ़ गईं थी । 
"मैं यहीं बाथरूम में ही तो थी" सपना ने सफाई दी 
"मैं तो पूरा बाथरूम देखकर गई थी, तब तो तू यहां पर नहीं थी । बता, कहां थी फिर तू"? 
"अच्छा पहले ? तब तो मैं रजनी के घर गई थी" सपना धीरे से बोली 
"रजनी के घर ? क्यों ? और बताकर क्यों नहीं गई थी" ? गीता देवी झुंझलाकर बोलीं 
"वह कुछ शॉपिंग करके लाई थी । बस उसे दिखाने के लिए उसने मुझे बुला लिया था । मैं उन्हें देखने चली गई" 
"ऐसी क्या शॉपिंग करके लाई है वो जो इस तरह दिखावड़ा कर रही है" ? मुंह बनाते हुए गीता जी बोलीं । 
"बस अपना प्राइवेट सामान लाई है और क्या" ? सपना ने मुस्कुराते हुए कहा 
"कैसा प्राइवेट सामान है उसका, हमें भी तो पता चले" ? गीता देवी की आंखों में जिज्ञासा थी । 
"लड़कियों का प्राइवेट सामान क्या होता है मम्मी, आप अच्छी तरह जानती हो, फिर मेरे मुंह से क्यों कहलवाना चाहती हो" ? सपना ने बचने के लिए कहा 
"मुझसे छिपायेगी क्या ? मैं कोई मर्द हूं क्या जो मुझे बताने में झिझक आ रही हो" ? 
"आप तो पीछे ही पड़ जाती हो मम्मी । एक दो ड्रेस हैं, नाइटी है , इनरवीयर्स हैं और लिपस्टिक वगैरह हैं बस" 
"तो इसमें प्राइवेट क्या है ? ये तो सब औरतें जानती हैं" 
"बस यही कुछ लाई है वह । एक बात बताऊं मम्मी" ? 
"हां बता " ? 
"नहीं, तुम कह दोगी सबसे" सपना कहते कहते रुक गई 
"किसी से नहीं कहूंगी , अब तो बता" ? गीता जी भी जानने को उत्सुक थीं । 
"रजनी बड़ी चालाक है मम्मी ।  उसने अपने दोनों ब्वाय फ्रेंड से दस दस हजार रुपए अपने वॉलेट में डलवा लिए थे वैलेंटाइन डे के नाम पर" सपना ने एटम बम फोड़ दिया था । 
इस बात से गीता देवी भौंचक्की रह गईं "दो दो ब्वाय फ्रेंड" ? 
"हां मम्मी । उसके दो ब्वाय फ्रेंड हैं । एक कॉलेज के जमाने का है तो दूसरा अभी कोरोना काल में ही बना है । वह पहले कॉलेज वाले से बहुत प्यार करती थी बाद मैं उसे दूसरा मिल गया । वह तय ही नहीं कर पाई थी कि उसे किसके साथ शादी करनी चाहिए । इसलिए वह दोनों से ही प्यार करने लग गई । दोनों ही ब्वाय फ्रेंड बाहर रहते हैं । उनमें से एक तो आज यहां आ रहा है वैलेंटाइन डे मनाने के लिए । उसके साथ वह किसी मंहगे होटल में डिनर पर जायेगी" 
"और दूसरा क्या करेगा" ? 
"उसे कल का टाइम दिया है उसने । उसे कह दिया है कि वह आज यहां मोतिया गांव में नहीं है । कल आयेगी । फिर कल उसी ड्रेस को पहनकर अपने दूसरे प्रेमी से मिल लेगी । है ना चालाक लड़की" ?  सपना की मुस्कुराहट बहुत व्यंग्यात्मक थी   
"दो दो ब्वाय फ्रेंड ? क्या जमाना आ गया है" ? गीता जी मुंह सिकोड़ते हुए बोलीं 
"जमाना तो वाकई बहुत खराब है मम्मी ।  किसी किसी लड़की के तो पांच सात ब्वाय फ्रेंड भी होते हैं अब" सपना विस्फोट करते हुए बोली । बेचारी गीता देवी ! उन्होंने ये नहीं सोचा था कि नारी जाति इतनी उन्नति के सोपान चढ़ जायेगी । उन्हें बड़ा आश्चर्य हो रहा था । पुराने जमाने की औरतों को तो एक पति को झेलना बहुत मुश्किल होता था । ये लड़कियां पांच सात को कैसे मैनेज करती होंगी ? वे मन ही मन सोचती रह गईं । 

श्री हरि 
14.2.23 

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

16-Feb-2023 08:49 PM

बहुत खूब

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Milind salve

14-Feb-2023 08:58 PM

👌👌

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